लेेखक - विकास सक्सेना गीतकार
साधारण सफलता और महान सफलता के मध्य अंतर हुनर या किस्मत का नहीं होता बल्कि अंतर होता है एक सकारात्मक सोच और लगातार आगे बढ़ने का। जब हम मान लेते हैं कि हमारी क्षमताएं, हुनर और बुद्धिमत्ता हमारे जन्म से जुड़ी हैं तो हमारी सोच इसी धारा में बहने लगती है और हम उसी तरह बरताव करते हैं शायद इसलिए कि हम अपनी आगे बढ़ने के लिए मार्ग का चयन ही नहीं कर पाते। उस समय बिडंबना होती है। हमारे जीवन से जुड़ी हमारी मूलरूपी सोच का ठीक विपरीत जब हम मान लेते हैं कि हमारी क्षमताएं, हुनर और बुद्धिमत्ता में समय के साथ बदलाव होते हैं जोकि आगे बढ़ने के लिए अतिआवश्यक है तो हमें महसूस होता है कि हम किसी भी क्षेत्र में ऊँचाइयों तक जाने में समर्थ है और आगे बढ़ने के बारे में सोचने लगते हैं।
जब हमारे दिमाग में नकारात्मक विचार अपनी जगह बना लेते हैं तो हम खुद को नकारा समझ बैठते हैं जो कि पूर्णतः गलत है। हम सोचने पर विवश हो जाते हैं कि हमारे पास कोई हुनर नहीं है जिससे मैं सफल पथ पर आगे बढ़कर कुछ कर सकूँ। सीमित सोच के कारण हम अपने भविष्य को भी सीमित कर लेते हैं। वहाँ ठीक इसके विपरीत खुद को लगातार आगे बढ़ाने से हम जिंदगी में कई बेहतर अवसर पाते हैं और उन्हें अच्छी तरह अपनी जिंदगी में ढाल पाते हैं।
जब कोई बच्चा खुद को किसी कार्य को करने की कोशिश करता है तो हमें उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए।यदि हम ऐसा करते हैं तो एक बेहतर सफल परिणाम हमारे सामने होगा इससे बच्चे को आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति जागरत होग। लगातार आगे बढ़ने वाली मानसिकता के लोग जिंदगी को निरंतर सीखने वाली यात्रा मानकर चलते हैं। वे लगातार सीखने की भूख को जगाए रखते हैं। किसी भी विधा के महारथी बनने के लिए सबसे पहले आपको कुछ भी नए तरीकों से सोचने का हुनर सीखना होगा ताकि आगे चलकर हम किसी भी बाधा को पार करने में समर्थ है।
चीजें हर वक्त बदलती रहती है इसलिए यकीनन हमारी सोच में भी समय दर समय बदलाव होना जरूरी है। यह होना भी लाजमी है इससे हमें परिस्थितियों से कैसे सुलझा जाए मालूम हो जाता है कि हमारी सफलता में यह बेहद कारगर सिद्ध होता है। हमें अपने दिमाग के संकेतों को भी समझना चाहिए कि हमें नए आयाम गढ़ने में सफलता मिलती है और बेहद विकलपो की नवनीनता तराशने में मदद मिलती है। जिस प्रकार गणित के सवाल बिना सूत्र के हल नहीं किए जा सकते ठीक उसी प्रकार सफलता अर्थात् लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहने का जुनून भी बेहद जरूरी है। जब तक आपके अंदर चीजों को जानने की उत्सुकता नहीं होगी तो सीमित दायरे में दबे रह जाएंगे।
अत:लगातार चलते हुए आगे बढ़ते रहना ही सफलता का मूलमंत्र है।
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