जिसने अंर्त दीप जालाया

जिसने अंर्त दीप जालाया वही बुद्ध का पथगामी।
अंदर बाहर चित्त शांति हो रहे मना न विष कामी।।
दुख के बादल जब मडराऐं संकट चारों ओर घिरे
पंचशील की डोर थाम तब प्रखर रहे न गुमनामी।।
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डॉ प्रखर

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