जिसने अंर्त दीप जालाया प्रस्तुतकर्ता Unknown को मई 12, 2017 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप जिसने अंर्त दीप जालाया वही बुद्ध का पथगामी।अंदर बाहर चित्त शांति हो रहे मना न विष कामी।।दुख के बादल जब मडराऐं संकट चारों ओर घिरेपंचशील की डोर थाम तब प्रखर रहे न गुमनामी।। ••••••••डॉ प्रखर टिप्पणियाँ
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