कमाल आमरोही निकले

लेखक - रंगनाथ द्विवेदी

हिन्दी सिनेमा की दो तड़प मीना कुमारी और कमाल आमरोही------
(कमाल आमरोही निकले)
मीना दिल हार गई--------------
लेकिन तुम बेवफ़ा कमाल आमरोही निकले।
डुबना चाहा तेरी आगोश मे लेकिन डुब न सकी,
हाँ !ये मीना बेशक गमे शराब मे डुब गई,
लेकिन डुबती हर घुँट से मैने सुना है खुद--------
तेरे न रहने पे भी,
शराब की हर घुँट से मेरे बूँद-बूँद कमाल आमरोही निकले।
एक बसे घर की आह!लगी शायद,
तभी तो मुझको ये तबाहे लम्हात मिले,
और मै शम-मये मोम के छाले की तरह,
जल और फूट रही!
या खुदा! एैसी गमे बेवा सी जिंदगी,
मेरी तरह तड़प के----------
किसी बिस्तर पे सोई न मिले।
हाँ! ये इंतकाले मीना छोड़े जा रही,
एक तड़प होंठ पे अपनी,
शायद आँख भिगेगी और तुम रोओंगे,
मैने तुमसे मोहब्बत ही इतनी टुट के की है,
मेरे न रहने पे------
जब भी तुम अपनी इस अधुरी और तन्हा मीना को याद करोगे,
तो उस याद के होंठ पे भी तुम्ही आओगे,
हाँ!इतनी इनायत तुम जरूर करना------------
कि मेरी याद को सिने से लगा के,
कुछ देर बीते दिनो की तरह खड़े रहना,
और चुम लेना मेरी यादो के लरज़ते होंठ,
जब मेरे मेहबूब------
मेरी जु़बा से कमाल आमरोही निकले।
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परिचय----रंगनाथ द्विवेदी,
जज कालोनी,मियाँपुर,
जौनपुर(उत्तर-प्रदेश)
mo.no.----7800824758
पेशेवर कुशलता----सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत दिव्यांग बच्चो का अध्यापन।
रचनात्मक कुशलता----देश के तमाम पत्र-पत्रिकाओ मे अनवरत लेखन व प्रकाशन।

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