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ओम नम: शिवाय्
कहता चल
जीवन की डोर
इनके हाथ ही है ।
जय श्री राम
भजता चल
भवसागर से पार होना भी
इनके हाथ ही है ।
मनकी बात
तू करता चल
नैया पार लगना भी
इनके हाथ ही है ।
भूल न जाना राम को
धनश्याम को
सबका मालिक एक है
"ओम नम: शिवाय"
अनिल कुमार सोनी
लेबल: कविता
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