"देश की नब्ज और किसान"
जेब खाली !
जुबान खाली !
जिग़र के अरमान खाली !
खेल खाली !
खेत खाली !
खलिहान खाली !
कुठिया का अनाज खा ली !
हुआ न
खाली डब्बा ।
खाली बोतलें ले लो मेरे यार
खाली से सब नफरत करता
खाली है किसान
खाली डब्बा
"मुद्राविहीन देश की जनता सेअराजकता फैलती है"।
अनिल कुमार सोनी
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