रचनाकार - तारकेश्वर यादव
तो क्या
दिल टूट जाए, बिखर जाए, जल जाए तो क्या,
आँख भर जाए, बरस जाए, पिघल जाए तो क्या,
हिज्र को काटे हैं अकेले सर्द रातों में मैनें,
हम ठिठुर जाए, गल जाए, मर जाए तो क्या,
हम अकेले चले थे तुझे फ़तह के लिए,
हम लड़खड़ाएँ, गिर जाएँ, न जीत पाएँ तो क्या,
हम लड़े थे तेरे संग एक अदद् दिल के लिए,
मुझे तो याद है,तू आजाद है, तू भूल जाए तो क्या...!
***********
रचनाकार परिचय - अपनी नज़रों से हर एक चीज को गज़ल बना देनें वाले तारकेश्वर यादव फिलहाल मायामगरी मुम्बई में रह रहें हैं. नफ़रत की दुनियाँ को रंगीन बनाना ही एक सपना है, ताकि हर एक व्यक्ति खुशहाली में सराबोर हो जाए और जीवन के अनसुलझें पहलुओं को भी छू सकें.
तो क्या
दिल टूट जाए, बिखर जाए, जल जाए तो क्या,
आँख भर जाए, बरस जाए, पिघल जाए तो क्या,
हिज्र को काटे हैं अकेले सर्द रातों में मैनें,
हम ठिठुर जाए, गल जाए, मर जाए तो क्या,
हम अकेले चले थे तुझे फ़तह के लिए,
हम लड़खड़ाएँ, गिर जाएँ, न जीत पाएँ तो क्या,
हम लड़े थे तेरे संग एक अदद् दिल के लिए,
मुझे तो याद है,तू आजाद है, तू भूल जाए तो क्या...!
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रचनाकार परिचय - अपनी नज़रों से हर एक चीज को गज़ल बना देनें वाले तारकेश्वर यादव फिलहाल मायामगरी मुम्बई में रह रहें हैं. नफ़रत की दुनियाँ को रंगीन बनाना ही एक सपना है, ताकि हर एक व्यक्ति खुशहाली में सराबोर हो जाए और जीवन के अनसुलझें पहलुओं को भी छू सकें.
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