भरोषा



"भरोषा"
खुद पे भरोसा
खुदा पे भरोसा
भरोषा ही तो है
जीने का हौसला।
कदम दर कदम
लोग मिलते है
साथ चलते है कुछ
पे हो जाता भरोसा।
अपनों पर भरोसा
गैरो पर भरोसा
भरोषा ही तो है
नाता जोड़ता।
आँखों में देख
हो जाता भरोसा।
बातो में भी कभी
हो जाता भरोसा।
रिश्तों में भरोसा
दोस्ती में भरोसा
करना पड़ता है
पड़ोसी पे भरोसा
प्यार में भरोसा
जन्मों का बन्धन
रीतियों में भरोसा
बन जाए जीवन।
भरोसे में पूरी
कायनात है टिकी
आये कयामत
जब टूटे भरोसा।
दिलबर से दिल तक
छूटा फिर रिश्ता
स्वार्थ बलवती
हर रिश्ता फिर टूटा।
प्रेम का नाम ही दूजा
भरोसे में सबको को पूजा
बिखरता है सबकुछ
हर कदम मिलता है धोखा।
सोच समझ करो भरोसा
नकाब पहन हैवान घूमते है
कब टूटे भरोसा
कौन सोचता है।
खुद पे ही करो भरोसा
हर जंग जीत जाओगे
ईश्वर पे भरोसा
बढ़ता आत्मविश्वश है।
भरोसे पे मुझको
है बहुत है भरोसा
ईश्वर का रूप
आशा का दीप भरोसा।
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रचनाकार -
शालिनीपंकज

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