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रचनाकार - योगेन्द्र प्रताप मौर्य
दुख का बीत अतीत गया
केवल चूल्हा-चक्की में ही
माँ का जीवन बीत गया
ना देखी बाहर की दुनिया
इतना घर में काम रहा
सुबह रसोई बाद खेत में
चाहे जितना घाम रहा
धीरे-धीरे,चुपके-चुपके
कब होंठों से गीत गया
चिथड़ी लुगरी के जैसे वह
अपने दुख को सीती है
जठर आग बुझाने खातिर
घूँट आँसू के पीती है
सुख ने खाई कई पटखनी
आखिर दुख ही जीत गया
देख गरीबी अपने घर की
बप्पा किसे बताए
लेकर कठिन फैसला मन में
शहर कमाने आए
माँ खोयी सुधि बैठी रहती
जबसे मन का मीत गया
किन्तु शहर ने किए छलावे
उससे अच्छा गाँव रहा
तंगी में फिर करें गुजारा
माँ का शीतल छाँव रहा
माँ-बप्पा के संग-साथ में
दुख का बीत अतीत गया
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परिचय-योगेन्द्र प्रताप मौर्य
पिता का नाम-स्व.माधव प्रसाद मौर्य
माता का नाम-श्रीमती अभिराजी देवी
जिमतिथि-10--07--1983
शिक्षा-B.Sc. , B.Ed.
सम्प्रति-शिक्षक
कृति-सूरज चाचा हाय हाय(इक्यावन बाल कविताएँ)
सम्मान-साहित्य संगम द्वारा साहित्य अभ्युदय सम्मान, उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा माँ शारदे उत्कर्ष सम्मान ,काव्यसागर द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचना प्रमाणपत्र
पता-
ग्राम-बरसठी
पोस्ट-बरसठी
जिला-जौनपुर
पिनकोड-222162
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