हाइकु




                         नवीन कुमार जैन 

 विधा - हाइकु 
विषय - चाँद 

चाँद सा अहं
आता है जाता कभी
अहंकारी का

कभी बढ़ता
कभी लबालब हो
कभी घटता

हुआ विनाश
अहं नष्ट होता है
अमावस्या हो

   - नवीन कुमार जैन
         बड़ामलहरा
       


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