हाइकु प्रस्तुतकर्ता Naveen Kumar jain को मई 10, 2017 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप नवीन कुमार जैन विधा - हाइकु विषय - चाँद चाँद सा अहं आता है जाता कभी अहंकारी का कभी बढ़ता कभी लबालब हो कभी घटता हुआ विनाश अहं नष्ट होता है अमावस्या हो - नवीन कुमार जैन बड़ामलहरा टिप्पणियाँ
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