गज़ल - प्रीती श्रीवास्तव

रचनाकार - प्रीती श्रीवास्तव

तेरे बाजुओ का सहारा चाहिये !
कश्ती डूबे नही किनारा चाहिये!!
बसा ली तस्वीर तेरी निगाहो मे !
दिल मे भी घर हमारा चाहिये !!
दामन फैला के मांगी दुआ रब से !
जां निकलने तलक गुजारा चाहिये !!
बिखर जाऊं मिल जाऊं खाक मे !
तराशने को हाथ तुम्हारा चाहिये !!
गले से लगा मुझे मत इन्कार कर !
दर्दे दिल को इकरार करारा चाहिये!!
भटकती रूह का अब ऐलान सुन !
मकां इसे अपना दोबारा चाहिये !!

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रचनााकार--प्रीती श्री वास्तव.

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