रचनाकार - अनमोल तिवारी
शारदे वंदना
बह्र :--1212 1212 1212 1212
बह्र :--1212 1212 1212 1212
नमामि शारदे तुम्हें,हरो सभी विकार माँ।
कृपा करो दयामयी,भरो सदैव प्यार माँ।।
कृपा करो दयामयी,भरो सदैव प्यार माँ।।
विराज कंठ आन मात,छंद को करो मधुर।
बुला रहा अमोल,हंसवाहिनी पुकार माँ।।
बुला रहा अमोल,हंसवाहिनी पुकार माँ।।
नमामि ज्ञान दायिनी सदा सुहाय भारती।
भजूँ सदैव आपको, करो सभी सुधार माँ।।
भजूँ सदैव आपको, करो सभी सुधार माँ।।
उतार आज आरती चढ़ा रहा प्रसून ये।
प्रकाश हो नवीन ज्ञान का करो प्रसार माँ।।
प्रकाश हो नवीन ज्ञान का करो प्रसार माँ।।
बने सभी सुजान मूढ एक भी दिखे नहीं।
सहे न जीव पीड़ मात आप दो उबार माँ।।
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सहे न जीव पीड़ मात आप दो उबार माँ।।
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: 🍀🌻आल्हा छंद🍀🌻
शिल्प:-31मात्राएँ(16+15)चरणांत गुरु लघु(21)
शिल्प:-31मात्राएँ(16+15)चरणांत गुरु लघु(21)
🍀🌻लंका युद्धकांड🌻🍀
बजा आज लंका में डंका,सूरज किरणें रहा उतार।
शंख नाद रह-रहकर उठता,रण पूजक सब हीं तैयार।।
सुंदर ये रणभेरी का स्वर,बाजे संग में ढोल हज़ार।
लिए हाथ करवाल समर में,आ पहुँचे रणवीर अपार।।
शंख नाद रह-रहकर उठता,रण पूजक सब हीं तैयार।।
सुंदर ये रणभेरी का स्वर,बाजे संग में ढोल हज़ार।
लिए हाथ करवाल समर में,आ पहुँचे रणवीर अपार।।
कीर्ति पताका रथ पर सोहे,चले सभी जयघोष लगाय।
केसरिया बाना धारण कर,वीर बाँकुरे मन हरषाय।।
होगी किसकी जीत युद्ध में,सबके उर ये प्रश्न महान।
नहीं किसी से कोई भी कम,रण में सब ही चतुर सुजान।।
केसरिया बाना धारण कर,वीर बाँकुरे मन हरषाय।।
होगी किसकी जीत युद्ध में,सबके उर ये प्रश्न महान।
नहीं किसी से कोई भी कम,रण में सब ही चतुर सुजान।।
अंगद नल हनुमान नील अरु,जामवंत सुग्रीव बलवान।
सबके हृदय एक बिराजे,राम दयानिधि श्री गुणवान।।
मेघनाद है नामी योद्धा,मिली इंद्र पर जिसको जीत।
इधर लखन है धीर वीर-सा,जिसको भ्राता से है प्रीत।।
सबके हृदय एक बिराजे,राम दयानिधि श्री गुणवान।।
मेघनाद है नामी योद्धा,मिली इंद्र पर जिसको जीत।
इधर लखन है धीर वीर-सा,जिसको भ्राता से है प्रीत।।
((अब आनुप्रासिक छटा))
चम-चम-चमके चपला चहुँदिश,तीर चले उठती चीत्कार।
घिर घनघोर घटा अब आई,घड़ी-घड़ी प्रतिघात उघार।।
कटे-फटे पट शोणित टपके,मर्कट झटपट कटक भगाय।
काट-काट कुटिलों के मस्तक,रटत राम जय धूल चटाय।।
चम-चम-चमके चपला चहुँदिश,तीर चले उठती चीत्कार।
घिर घनघोर घटा अब आई,घड़ी-घड़ी प्रतिघात उघार।।
कटे-फटे पट शोणित टपके,मर्कट झटपट कटक भगाय।
काट-काट कुटिलों के मस्तक,रटत राम जय धूल चटाय।।
देख दशा दैत्यों की दुर्बल,दशकंधर दुख दुगना छाय।
दीन दयालु दाता दाशरथि,दानव दल का दर्प गिराय।।
आ पहुँचा तब रण में रावण,धनुष बाण कीन्हें संधान
लक्ष्य साधकर तीर चलाए,साध करे पूरी भगवान।।
दीन दयालु दाता दाशरथि,दानव दल का दर्प गिराय।।
आ पहुँचा तब रण में रावण,धनुष बाण कीन्हें संधान
लक्ष्य साधकर तीर चलाए,साध करे पूरी भगवान।।
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किरीट सवैया *
शिल्प"~8 भगण(211×8) कुल 24 वर्ण,चार चरण सम तुकांत।
211 211 211 211 211 211 211 211
हाथ भरे दधि माखन मोहन, नाच रहे करताल बजावत।
मात यशोमति मोद भई लखि ,रूप कलानिधि चंद्र लजावत।।
नंद खड़े बिहँसे छवि मोहन बाँह उठाकर नाच नचावत।
ये "अनमोल" जपे निशि बासर श्याम सुधाकर धेनु चरावत।।
हाथ भरे दधि माखन मोहन, नाच रहे करताल बजावत।
मात यशोमति मोद भई लखि ,रूप कलानिधि चंद्र लजावत।।
नंद खड़े बिहँसे छवि मोहन बाँह उठाकर नाच नचावत।
ये "अनमोल" जपे निशि बासर श्याम सुधाकर धेनु चरावत।।
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