रोटी

रचनाकार - संजय वर्मा "दृष्टी "


रोटी 

भूख में स्वाद 
जाने क्यों बढ़ जाता 
रोटी का 
झोली/कटोरदान से 
झांक रही  
रोटी 
भूखे खाली पेट में 
समाहित होने की 
त्वरित अभिलाषा लिए 
ताकि प्रसाद के रूप में
भूखा तृप्त हो
और धरा पर रहने वाला 
ऊपर वाले को कह सके 
तेरा लख -लख शुक्रिया 

रोटी कैसी भी हो 
धर्मनिर्पेक्षता का 
प्रतिनिधित्व करती 
भाग -दौड़ भी 
रोटी के लिए करते 
फिर भी कटोरदान 
धरा पर रहने वालों को  
नेक  समझाइश देता 
कटोर दान में ऊपर-नीचे 
रखी रोटी 
मूक प्राणियों के लिए 
होती सदैव सुरक्षित 

दान के पक्ष के लिए  
रखी एक रोटी की हकदारी से 
भला उनका पेट 
कहाँ से भरता ?  
रोटी की चाहत 
रोटी को न मालूम 
रोटी न मिले तो 
भूखे इंसान की 
आँखें रोती  

यदि  रोटी मिल जाए 
ख़ुशी  के आंसू से 
वो गीली हो जाती 
बस इंसान को और क्या चाहिए 
ऊपर वाले से 
किन्तु रोटी की तलाश 
है अमर.
**********


संजय वर्मा "दृष्टी "
125 शहीद भगत सिंग मार्ग 
मनावर जिला धार (म प्र ) 

टिप्पणियाँ