ग़ज़ल एवं गीत


रचनाकार - विजय गौत्तम
1. ग़ज़ल -
तुम चाहो तो मैं कह दूं आज , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ ,
इन झुकती आँखों के सारे राज़ , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 
जो करे तुम्हारी तारीफें वो लफ्ज़ ढून्ढ कर लाया हूँ
ग़ज़लों में पिरोया हैं इनको , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ । 
ईलू ईलू का मतलब टीचर से पूछकर आया हूँ
हाथों में लिए ये लाल गुलाब , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 
जो तुमने चाहा तो था पर डर डर के लिख न पायी तुम
उन सारे खतों का जवाब , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 
वो बचपन की सारी मस्ती , जो साथ चलायी थी कश्ती ,
मुझे वो सब कुछ है याद , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 
जब दिन में देखे थे सपने , रातों में नींद ना आई थी
उन सब रातों का हिसाब , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 
वो बातें जो मुँह तक आ कर U-turn मार फिर जाती हैं
वो सब बातें मैं कह दू आज , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 
कह दूँ तुमसें गर सारी बात तो मन कुछ हल्का हो जाए
गर हो तुम्हारा समय ख़राब , तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ। 

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2. गीत
सुबह हुई फिर शाम हुई बातो बातो में रात हुई
रातो में जो बात हुई वो तन्हाई के साथ हुई 
साथ साथ में हम दोनों ने रातें काली कर डाली
एक रात में हम दोनों ने बात निराली कर डाली
बात बात में याद आया कि साथ हमारे कौन है
क्यों चुप हैं सारी दीवारेँ दरवाजे क्यों मौन है
चाँद भी आया है महफ़िल में अपनी तन्हाई लेकर
देख तू खिड़की खोल ज़रा आज ये क्यों बरसात हुई। 
सुबह हुई फिर शाम हुई बातो बातो में रात हुई
रातो में जो बात हुई वो तन्हाई के साथ हुई। 
घड़ी के कांटे टिक टिक करके मुझसे ये बतलाते हैं
रुकना मत तू चलते रहना दर्द तो आते जाते हैं
ठंडी बहती सर्द हवाएं कानो में कुछ कहती हैं
रुत बदलेगी ,सावन होगा , अच्छे दिन भी आते हैं
आएगी दीवाली दिए जलेंगे सब कुछ रोशन हो जायेगा
बस थोडा सा फिसला है तू अभी ना तेरी मात हुयी 
सुबह हुई फिर शाम हुई बातो बातो में रात हुई
रातो में जो बात हुई वो तन्हाई के साथ हुई। 
बहुत रात हुई ऐ तन्हाई चल तकिया ले तू भी सो जा
ऐ चंदा तू भी ले ले करवट मीठी निंदिया में खो जा
दरवाजों  और दीवारों , कान खोल कर सुन लेना
जो बात हमारे बीच हुई वो बात किसी से न कहना
घडी के कांटो और हवाओं चलते रहना सदा ही तुम
मिलेंगे कल फिर रात को गर सांस ये मेरे साथ हुई 
सुबह हुई फिर शाम हुई बातो बातो में रात हुई
रातो में जो बात हुई वो तन्हाई के साथ हुई।
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रचनाकार परिचय - 
मेरा नाम विजय गौत्तम है और मैं अभी jaipur engineering college , Kukas , jaipur में  civil engineering विषय के व्याख्याता पद पर कार्यरत हूँ ।  मेरी उम्र 24 साल है और मैं कविता और ग़ज़लों से internet के माध्यम से जुड़ा हुआ हूँ और लिखने का प्रयास भी करता हूँ । ग़ज़लें लिखना मुझे बहुत अच्छा लगता है । 

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