कवि- मनमोहन भाटिया
अधिकार.....
है अधिकार तुझे जीवन संवार दे
सूना है इसे हरा भरा कर दे
तपती दोपहर झुलझता है बदन
बन कर बादल शीतल कर दे
धुंधली है रेत से शाम
फुहार कर उज्जवल कर दे
न छोड़ कर जा बेदर्दी
अपनाकर मेरा जीवन बदल दे
आईना.....
कहते हैं कि आईना झूठ नहीं बोलता
बोलता नही चुपचाप सच बताता है
पर हम सच मानने को तैयार नही
मुंह फेर लेते हैं सच झुठला देते हैं
नए जमाने के तौर तरीके नही जानता है
कुछ नया नही पुरानी चीजें दिखाता है
पुते चेहरों झूठी तारीफों पर हम इठलाते हैं
फेंक दो कम्बख्त को कहता है हम पुराने हो गए हैं
घरौंदा.....
एक छोटा सा घरौंदा था
जिसमें बचपन गुजारा था
सब मिल कर खेला करते थे
डांट खाने पर पढ़ा करते थे
भाई बहन रिश्तेदार सब मिलते थे
जीवन को हसीन बनाते थे
छोटा घरौंदा अब बड़ा हो गया है
दिल और रिश्ता सिकुड़ गया है
अब कहां भाई बहन रिश्तेदारों का मिलना
अब कहां मिल कर मस्ती करना
याद आ गई बचपन में दीवार पर की चित्रकारी
उठाई बच्चों की पेंसिल और कर दी दीवार पर कलाकारी
मात पिता......
माता तू ही पिता तू ही
सृष्टि का रचयिता तू ही
तू ही हमारा रक्षक है
तू ही हमारा पथपर्दशक है
तू ही जीवन तू ही मृत्यु
तेरी इच्छा से अस्तित्व है
हम हैं खिलौना तेरे हाथ के
भवसागर पार करा सतबुद्धि देके
मात पिता तू सृष्टि का
ईश्वर तेरे चरणों में नमस्तक हम
मेहमान.....
सुखद था वो पल जब तुम आए थे
ज़िन्दगी गुलज़ार थी जब तुम आए थे
हसीन सपने एक साथ बुने थे
उनको सार्थक करने के प्रयास किये थे
हाथ पकड़ कर साथ चले थे
ज़िन्दगी भर का हमसफर बन कर
तेरे बिन बेस्वाद हो गई है ज़िन्दगी
रुक जाओ चाहे मेहमान बन कर
**************************
जीवन परिचय
नाम: मनमोहन भाटिया
जन्म तिथि: 29 मार्च 1958
जन्म स्थान: दिल्ली
शिक्षा: बी. कॉम. (ऑनर्स), हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय; एल. एल. बी., कैम्पस लॉ सेन्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय
संप्रति: सृष्टी होटल प्राईवेट लिमिटेड में असिस्टेंट जनरल मैनेजर-फाईनेंस एंड अकाउंटस
अभिरूचियाँ: कहानियाँ लिखना शौक है। फुर्सत के पलों में शब्दों को जोडता और मिलाता हूं।
प्रकाशित रचनायें:
कहानियाँ:
सरिता, गृहशोभा, प्रतिलिपी, जयविजय, अभिव्यक्ति, स्वर्ग विभा, अनहद कृति, अरगला, हिन्दी नेस्ट और नवभारत टाईम्स में प्रकाशित
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट hindisamay.com में कहानी संकलन। लिंक: http://www.hindisamay.com/writer/writer_details.aspx?id=1316
राजकमल प्रकाशन की डॉ. राजकुमार सम्पादिक पुस्तक "कहानियां रिश्तों की - दादा-दादी नाना-नानी" में कहानी "बडी दादी" प्रकाशित। ISBN: 978-81-267-2541-0
बोलती कहानी “बडी दादी” स्वर “अर्चना चावजी” रेडियो प्लेबैक इंडिया पर उपलब्ध। लिंक: http://radioplaybackindia.blogspot.in/2014/01/badi-dadi-by-manmohan-bhatia.html
कहानी “ब्लू टरबन” का तेलुगु अनुवाद। अनुवादक: सोम शंकर कोल्लूरि। लिंक: http://eemaata.com/em/issues/201403/3356.html?allinonepage=1
कहानी “अखबार वाला” का उर्दू अनुवाद। अनुवादक: सबीर रजा रहबर (पटना से प्रकाशित उर्दू समाचार पत्र इनकलाब के संपादक) बिहार उर्दू अकादमी के लिए।
प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में कहानी संकलन। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author/4899148398592000
गूगल प्ले स्टोर पर कहानियों का संग्रह कथासागर। लिंक: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में इंटरव्यू। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author-interview/5715757912555520
गद्य कोश पर कहानियों का संग्रह। लिंक: http://gadyakosh.org/gk/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%A8_%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
हिन्दुस्तान टाईम्स, नवभारत टाईम्स, मेल टुडे और इकॉनमिक्स टाईम्स में सामयिक विषयों पर पत्र
सम्मान एवं पुरस्कार:
दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता में 'लाईसेंस' कहानी को द्वितीय पुरस्कार
अभिव्यक्ति कथा महोत्सव - 2008 में 'शिक्षा' कहानी पुरस्कृत
प्रतिलिपि सम्मान – 2016 लोकप्रिय लेखक
संपर्क: बी – 1/4, पिंक सोसाइटी, सेक्टर - 13, रोहिणी, दिल्ली - 110085
वेब साईट: http://manmohanbhatia.blogspot.com/
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
http://manmohanbhatialetters.blogspot.com/
https://www.google.com/+ManmohanBhatia
ई-मेल: manmohanbhatia@hotmail.com
टेलीफोन: +919810972975
अधिकार.....
है अधिकार तुझे जीवन संवार दे
सूना है इसे हरा भरा कर दे
तपती दोपहर झुलझता है बदन
बन कर बादल शीतल कर दे
धुंधली है रेत से शाम
फुहार कर उज्जवल कर दे
न छोड़ कर जा बेदर्दी
अपनाकर मेरा जीवन बदल दे
आईना.....
कहते हैं कि आईना झूठ नहीं बोलता
बोलता नही चुपचाप सच बताता है
पर हम सच मानने को तैयार नही
मुंह फेर लेते हैं सच झुठला देते हैं
नए जमाने के तौर तरीके नही जानता है
कुछ नया नही पुरानी चीजें दिखाता है
पुते चेहरों झूठी तारीफों पर हम इठलाते हैं
फेंक दो कम्बख्त को कहता है हम पुराने हो गए हैं
घरौंदा.....
एक छोटा सा घरौंदा था
जिसमें बचपन गुजारा था
सब मिल कर खेला करते थे
डांट खाने पर पढ़ा करते थे
भाई बहन रिश्तेदार सब मिलते थे
जीवन को हसीन बनाते थे
छोटा घरौंदा अब बड़ा हो गया है
दिल और रिश्ता सिकुड़ गया है
अब कहां भाई बहन रिश्तेदारों का मिलना
अब कहां मिल कर मस्ती करना
याद आ गई बचपन में दीवार पर की चित्रकारी
उठाई बच्चों की पेंसिल और कर दी दीवार पर कलाकारी
मात पिता......
माता तू ही पिता तू ही
सृष्टि का रचयिता तू ही
तू ही हमारा रक्षक है
तू ही हमारा पथपर्दशक है
तू ही जीवन तू ही मृत्यु
तेरी इच्छा से अस्तित्व है
हम हैं खिलौना तेरे हाथ के
भवसागर पार करा सतबुद्धि देके
मात पिता तू सृष्टि का
ईश्वर तेरे चरणों में नमस्तक हम
मेहमान.....
सुखद था वो पल जब तुम आए थे
ज़िन्दगी गुलज़ार थी जब तुम आए थे
हसीन सपने एक साथ बुने थे
उनको सार्थक करने के प्रयास किये थे
हाथ पकड़ कर साथ चले थे
ज़िन्दगी भर का हमसफर बन कर
तेरे बिन बेस्वाद हो गई है ज़िन्दगी
रुक जाओ चाहे मेहमान बन कर
**************************
जीवन परिचय
नाम: मनमोहन भाटिया
जन्म तिथि: 29 मार्च 1958
जन्म स्थान: दिल्ली
शिक्षा: बी. कॉम. (ऑनर्स), हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय; एल. एल. बी., कैम्पस लॉ सेन्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय
संप्रति: सृष्टी होटल प्राईवेट लिमिटेड में असिस्टेंट जनरल मैनेजर-फाईनेंस एंड अकाउंटस
अभिरूचियाँ: कहानियाँ लिखना शौक है। फुर्सत के पलों में शब्दों को जोडता और मिलाता हूं।
प्रकाशित रचनायें:
कहानियाँ:
सरिता, गृहशोभा, प्रतिलिपी, जयविजय, अभिव्यक्ति, स्वर्ग विभा, अनहद कृति, अरगला, हिन्दी नेस्ट और नवभारत टाईम्स में प्रकाशित
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट hindisamay.com में कहानी संकलन। लिंक: http://www.hindisamay.com/writer/writer_details.aspx?id=1316
राजकमल प्रकाशन की डॉ. राजकुमार सम्पादिक पुस्तक "कहानियां रिश्तों की - दादा-दादी नाना-नानी" में कहानी "बडी दादी" प्रकाशित। ISBN: 978-81-267-2541-0
बोलती कहानी “बडी दादी” स्वर “अर्चना चावजी” रेडियो प्लेबैक इंडिया पर उपलब्ध। लिंक: http://radioplaybackindia.blogspot.in/2014/01/badi-dadi-by-manmohan-bhatia.html
कहानी “ब्लू टरबन” का तेलुगु अनुवाद। अनुवादक: सोम शंकर कोल्लूरि। लिंक: http://eemaata.com/em/issues/201403/3356.html?allinonepage=1
कहानी “अखबार वाला” का उर्दू अनुवाद। अनुवादक: सबीर रजा रहबर (पटना से प्रकाशित उर्दू समाचार पत्र इनकलाब के संपादक) बिहार उर्दू अकादमी के लिए।
प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में कहानी संकलन। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author/4899148398592000
गूगल प्ले स्टोर पर कहानियों का संग्रह कथासागर। लिंक: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
प्रतिलिपी वेबसाईट pratilipi.com में इंटरव्यू। लिंक:
http://www.pratilipi.com/author-interview/5715757912555520
गद्य कोश पर कहानियों का संग्रह। लिंक: http://gadyakosh.org/gk/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%A8_%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE
हिन्दुस्तान टाईम्स, नवभारत टाईम्स, मेल टुडे और इकॉनमिक्स टाईम्स में सामयिक विषयों पर पत्र
सम्मान एवं पुरस्कार:
दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता में 'लाईसेंस' कहानी को द्वितीय पुरस्कार
अभिव्यक्ति कथा महोत्सव - 2008 में 'शिक्षा' कहानी पुरस्कृत
प्रतिलिपि सम्मान – 2016 लोकप्रिय लेखक
संपर्क: बी – 1/4, पिंक सोसाइटी, सेक्टर - 13, रोहिणी, दिल्ली - 110085
वेब साईट: http://manmohanbhatia.blogspot.com/
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.abhivyaktyapps.hindi.stories
http://manmohanbhatialetters.blogspot.com/
https://www.google.com/+ManmohanBhatia
ई-मेल: manmohanbhatia@hotmail.com
टेलीफोन: +919810972975
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें