मनुज तुम्हारे इतने चेहरे !


कवि - डॉ दिवाकर दत्त त्रिपाठी

मनुज तुम्हारे इतने चेहरे ! 

तूने छीने कई निवाले ,
कुछ इतिहास बनाए काले।
तूने प्यास बुझाई गहकर-
बंदूकें तलवारें भाले ।

क्या बादल यह छँट पाएंगे,
मानवता पर काले गहरे ?
मनुज तुम्हारे………..

मजहब हित मानव भी काटे ,
देश कई सरहद से बांटे ।
मानवता के गालों पर भी-
मारे धन दौलत के चांटे।

औरंगजेब बना तू लेकर-
दारा के कुछ स्वप्न सुनहरे ।
मनुज तुम्हारे……………

कितनों के है वतन उजाड़े,
परचम जीत के जब-जब गाड़े।
शोणित की धाराएं देकर –
प्रेम के तूने पंथ बिगाड़े ।

मानवता पर तूने मानव !
हर युग में बैठाए पहरे ।
मनुज तुम्हारे……
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   होरी का गोदान कभी क्या हो पायेगा ?

पाँच पाँच करके हैं बीते साल कई ।
चोर उचक्के हुयें हैं मालामाल कई ।
खादी पहन के कइयों देश को लूट रहे
खादी बुनने वालें हैं बेहाल कई ।

कर्मी आशावान कभी क्या हो पायेगा ?
होरी का गोदान………………………

नित किसान गर्मी मे देह जलाता है ।
क्या अपनी मेहनत भर फल वो पाता है ?
खून पसीना उसका बहता खेतों में ,
लाभ दलालों के खाते मे आता है ।

हलधर भी धनवान कभी क्या हो पायेगा ?
होरी का गोदान…………………….

हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिले ।
मेहनतकश को एक ठोस आधार मिले ।
शहरों जैसी सुविधायें हो गाँवों में ,
ग्रामदेव को उन्नति का उपहार मिले ।

ऐसा हिंदुस्तान कभी क्या हो पायेगा ?
होरी का गोदान…………………….
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कवि-परिचय
नाम: डॉ दिवाकर दत्त त्रिपाठी आत्मज : श्रीमती पूनम देवी तथा श्री
सन्तोषी लाल त्रिपाठी
जन्मतिथि :१६ जनवरी १९९१
जन्म स्थान: हेमनापुर मरवट, बहराइच ,उ.प्र.
शिक्षा. : एम.बी.बी.एस. पता. रूम न. ,१७१/१ बालक छात्रावास मोतीलाल नेहरू
मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद ,उ.प्र.
प्रकाशित पुस्तक - तन्हाई (रुबाई संग्रह)
उपाधियाँ एवं सम्मान - साहित्य भूषण (साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम
अकादमी ,परियावाँ, प्रतापगढ़ ,उ. प्र.)
शब्द श्री (शिव संकल्प साहित्य परिषद ,होशंगाबाद ,म.प्र.)
श्री गुगनराम सिहाग स्मृति साहित्य सम्मान, भिवानी ,हरियाणा
अगीत युवा स्वर सम्मान २०१४ अ.भा. अगीत परिषद ,लखनऊ
पंडित राम नारायण त्रिपाठी पर्यटक स्मृति नवोदित साहित्यकार सम्मान २०१५,
अ.भा.नवोदित साहित्यकार परिषद ,लखनऊ इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक
,शैक्षणिक ,संस्थानों द्वारा समय समय पर सम्मान । पत्र पत्रिकाओं में
निरंतर लेखन तथा काव्य गोष्ठियों एवं कवि सम्मेलनों मे निरंतर काव्यपाठ । 

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