कवि - रवि प्रभात
....पप्पू पास ना हो पाया....
मोदी लहर से बचने को
गठबंधन था बनाया
साइकिल पे सवार होकर
सड़क भी पार न कर पाया
इतना कर के भी कुछ ना हो पाया
फिर भी मम्मी का पप्पू पास ना हो पाया
मुक्तक....
वो वक्त था जब तुमहारी साँसो मे घड़कन सुनता था……
वो वक्त था जब तुमहारी बातो मे गजल सुनता था….
वो वक्त था जब तुमहारी तस्वीर मे मुझे खुदा दिखता था…
वो वक्त था जब तुमहारी यादो मे खुद को भुलाया करता था…..
वो वक्त था जब तुमसे एक मुलाकात को दुनिया से लड़ जाया करता था…..
पर तेरी एक रुसवाई ने सब कुछ बदल डाला…
मेरी मोहब्बत को खुदा से फ़क़ीर कर डाला…
****************
परिचय - रवि प्रभात
पुणे में एक आईटी कम्पनी में तकनीकी प्रमुख
....पप्पू पास ना हो पाया....
मोदी लहर से बचने को
गठबंधन था बनाया
साइकिल पे सवार होकर
सड़क भी पार न कर पाया
इतना कर के भी कुछ ना हो पाया
फिर भी मम्मी का पप्पू पास ना हो पाया
मुक्तक....
वो वक्त था जब तुमहारी साँसो मे घड़कन सुनता था……
वो वक्त था जब तुमहारी बातो मे गजल सुनता था….
वो वक्त था जब तुमहारी तस्वीर मे मुझे खुदा दिखता था…
वो वक्त था जब तुमहारी यादो मे खुद को भुलाया करता था…..
वो वक्त था जब तुमसे एक मुलाकात को दुनिया से लड़ जाया करता था…..
पर तेरी एक रुसवाई ने सब कुछ बदल डाला…
मेरी मोहब्बत को खुदा से फ़क़ीर कर डाला…
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परिचय - रवि प्रभात
पुणे में एक आईटी कम्पनी में तकनीकी प्रमुख
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