वाणी वंदना

कवि -डॉ दिवाकर दत्त त्रिपाठी

वाणी वंदना

शारदे! माँ शारदे! माँ शारदे! माँ शारदे !
जगतजननी कवि सुवन को कल्पना संसार दे !

अखिल जग का तम मिटा दे !
सुप्त प्राणों को जगा दे !
जिंदगी के पथ सुगम कर !
ज्ञान के दीपक जला दे !

ज्ञान के वटवृक्ष उपजें,मूल को आधार दे !
शारदे! …………………………………….

देख ! जगती रो रही है ।
रक्तरंजित हो रही है ।
खून की छींटे वसन पर-
आँसुओं से धो रही है ।

चण्डिका बन पापियों को अंबिके संहार दे !
शारदे ! ……………………..

युद्ध का मैं गान लिख दूँ ।
क्रांति का उन्वान लिख दूँ।
जब गरल उपजे धरा पर,
शंभु का विषपान लिख दूँ ।

काट दूँ अवसाद सारे,लेखनी को धार दे !
शारदे! ………………………..

दर्द के घन विरल कर दे !
क्षीण मन को सबल कर दे !
नव “दिवाकर” ज्ञान का हो,
हर किरण को नवल कर दे !

कलुष तम सबके हृदय के वाग्देवी मार दे !
शारदे! ……………………………

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कवि परिचय :

नाम: डॉ दिवाकर दत्त त्रिपाठी आत्मज : श्रीमती पूनम देवी तथा श्री
सन्तोषी लाल त्रिपाठी
जन्मतिथि :१६ जनवरी १९९१
जन्म स्थान: हेमनापुर मरवट, बहराइच ,उ.प्र.
शिक्षा. : एम.बी.बी.एस. पता. रूम न. ,१७१/१ बालक छात्रावास मोतीलाल नेहरू
मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद ,उ.प्र.
प्रकाशित पुस्तक - तन्हाई (रुबाई संग्रह)
उपाधियाँ एवं सम्मान - साहित्य भूषण (साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम
अकादमी ,परियावाँ, प्रतापगढ़ ,उ. प्र.)
शब्द श्री (शिव संकल्प साहित्य परिषद ,होशंगाबाद ,म.प्र.)
श्री गुगनराम सिहाग स्मृति साहित्य सम्मान, भिवानी ,हरियाणा
अगीत युवा स्वर सम्मान २०१४ अ.भा. अगीत परिषद ,लखनऊ
पंडित राम नारायण त्रिपाठी पर्यटक स्मृति नवोदित साहित्यकार सम्मान २०१५,
अ.भा.नवोदित साहित्यकार परिषद ,लखनऊ इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक
,शैक्षणिक ,संस्थानों द्वारा समय समय पर सम्मान । पत्र पत्रिकाओं में
निरंतर लेखन तथा काव्य गोष्ठियों एवं कवि सम्मेलनों मे निरंतर काव्यपाठ । 

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