गीतिका

गीतिका

तेरी याद आती है !
अश्क बहते रहते है !!
जुबां नही दर्द !
बहते अश्क कहते है !!
कहां से शब्द लाऊं !
दर्द का इजहार करू!
गुनाह दिल ने किया !
सजा नैन सहते है !!
तमन्ना करके तेरी !
हम तो बरबाद हुये !
पास से दिल गया !
उदास भी रहते है !!
न पूंछ दर्द का आलम !
क्या कहूं जानिब !
जिस्म बेजान हुआ !
सांस को बोझ कहते है !!
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लेखिका - प्रीती श्रीवास्तव

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