चंपा का फूल
चंपा के फूल
जैसी काया तुम्हारी
मन को आकर्षित
कर देती जब खिल जाती हो चंपा की तरह
भोरे .तितलिया के संग
जब भेजती हो सुगंध का सन्देश
वातावरण हो जाता है सुगंधित
और मन हो जाता मंत्र मुग्ध
जैसी काया तुम्हारी
मन को आकर्षित
कर देती जब खिल जाती हो चंपा की तरह
भोरे .तितलिया के संग
जब भेजती हो सुगंध का सन्देश
वातावरण हो जाता है सुगंधित
और मन हो जाता मंत्र मुग्ध
जब सँवारती हो चंपा के फूलो से
अपना तन
जुड़े में , माला में और आभूषण में
लगता है स्वर्ग से कोई अप्सरा
उतरी हो धरा पर
अपना तन
जुड़े में , माला में और आभूषण में
लगता है स्वर्ग से कोई अप्सरा
उतरी हो धरा पर
उपवन की सुन्दरता बढती
जब खिले हो चंपा के फूल
लगते हो जैसे धवल वस्त्र पर
लगे हो चन्दन की टीके
सुंदरता इसी को कहते
बोल उठता हूँ -
प्रिये तुम चंपा का फूल हो
जब खिले हो चंपा के फूल
लगते हो जैसे धवल वस्त्र पर
लगे हो चन्दन की टीके
सुंदरता इसी को कहते
बोल उठता हूँ -
प्रिये तुम चंपा का फूल हो
संजय वर्मा "दृष्टी "
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